Saturday 22 April 2017

वीडियो कैमरा - योजना (Planning)

योजना (planning): यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है, और संभवत: निर्देशक के लिए सबसे मुश्किल काम है। यह वह कार्य जहां आपकी अधिकांश ऊर्जा आपको निर्देशित करती है। 

बड़े प्रोजेक्ट में कैमरा वर्क सिर्फ एक कौशल है- जिसका लक्ष्य आमतौर पर एक पूरा वीडियो, टीवी कार्यक्रम, या किसी तरह की प्रस्तुति का उत्पादन करने के लिए होता है. एक अच्छे कैमरा वर्क के लिए, आपके पास पूरी प्रक्रिया का स्पष्ट चित्र होना चाहिए या कम से कम एक स्पष्ट विचार होना चाहिए की जब यह वीडियो बन जाएगा तो कैसा दिखेगा और कैसा सुनाई देगा .

कोई एक चीज़ है जो पेशेवरों को शौकीनों से अलग करती है तो वह है शौक़ीन हमेशा “विषय और शूट” (point and shoot) करते हैं और पेशेवर हमेशा “योजना और शूट” (planning and shoot) करते हैं l जाहिर है कई बार ऐसी परिस्थिति होती है जब रिकॉर्डिंग से पहले तैयारी करने का समय नहीं मिलता है- कभी कभी कार्यवाही अप्रत्याशित होती है और आपको उसके लिए जाना होता है l इन मामलों में, जहाँ तक संभव हो आपको अपनी योजना के अनुसार चलना चाहिए – योजना सबकुछ है (Planning is everything).

सामान्य कैमरा वर्क के लिए आप योजना को दो भाग में विभाजित कर सकते हैं – “शूट प्लान” और “शॉट प्लान”.

शूट प्लान (Shoot Plan):
इस मामले में “शूट” शब्द एक शूटिंग सत्र को संदर्भित करता है. अगर आप रिकॉर्ड की गयी हर फुटेज को शूट का भाग समझते हैं और प्रत्येक शूट के लिए एक योजना बना रहे हैं, तो आप बेहतर संगठित फुटेज बनाने के रास्ते पर हैं।

सबसे पहले, प्रत्येक शूट के उद्देश्य के बारे में आप पूरी तरह से स्पष्ट होना चाहिए। सामान्यतः, आप जो कुछ भी करते हैं वह एक बड़ी योजना के लिए काम करने जैसा होना चाहिए. 
वास्तव में यह क्या है जो कई कारकों पर निर्भर करेगा-

यदि आप एक फीचर फिल्म बना रहे हैं, तो दीर्घकालिक योजना (long term planning) यह होनी चाहिए कि स्क्रिप्ट / स्टोरीबोर्ड के लिए आवश्यक सभी शॉट्स इकट्ठा करके रखें. 
अगर आप होम वीडियो बना रहे हैं, तो भविष्य की पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक संग्रह बनाने की दीर्घकालिक योजना हो सकती है l 
यदि आप एक “ऑफ” प्रोजेक्ट (जैसे कि शादी का वीडियो) बना रहे हैं, तो भी आपको शूट के लिए दीर्घावधिक निहितार्थों (long term implications) को ध्यान में रखना होगा।

योजना का मतलब है कि एक ऐसा रवैया अपनाना जिसमे नियंत्रण आपके हाथ में हो. जब आप अपना वीडियो कैमरा निकालते हैं, तो यह सोचने के बजाय कि "यह वीडियो अच्छा लगेगा" और जो भी है उसे शूट करना शुरू कर दें, उससे पहले यह सोचें कि, "मैं यह वीडियो कैसे शूट करूँ जिससे यह वीडियो अच्छा लगे” ? फिर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वीडियो शूट करना शुरू करें (जरुरत पड़े तो डायरेक्शन भी करें).

शूट की अनुमानित लंबाई (approximate length) की योजना बनाएं: 
आपको कितना फुटेज शूट करने  करने की जरूरत है, और यह आपको लेने में कितना समय लगेगा? इसकी पूरी योजना शूट शुरू करने से पहले कर लें l इससे आपको उपकरण चुनने में भी मदद मिलती है. 

उपकरण की चेकलिस्ट रखें, जिसमें यह निम्न उपकरण शामिल हो सकते हैं : 
कैमरा, ट्राईपोड,  टेप (डिजिटल कार्ड), बैटरी, माइक्रोफोन, ऑडियो उपकरण, रोशनी के उपकरण, बिजली की आपूर्ति, लॉग शीट्स और अन्य पेपर वर्क.

सम्पादित करने की योजना (Planning to Edit): 
यह महत्वपूर्ण है, यदि आपको लगता है कि यह आपके लिए लागू नहीं होता है, तो आप गलत हैं. आपके द्वारा कैप्चर किए गए सभी शॉट्स को संपादन को ध्यान में रखकर शूट किये जाने चाहिए. 
संपादित करने के दो बुनियादी तरीके हैं: पोस्ट-प्रोडक्शन और इन-कैमरा

पोस्ट-प्रोडक्शन - संपादन का मतलब है कि आपके द्वारा रिकॉर्ड किए गए शॉट को किसी संपादन उपकरण का उपयोग करके उन्हें पुन: संयोजन (जोड़ा) किया जाना । पेशेवरों का काम करने का यही तरीका है – इस तरह से काम करने में शूटिंग के दौरान जायदा आसान हो जाती है और परिणाम भी बेहतर मिलते हैं .सरल पोस्ट संपादन करने के लिए, आपको केवल कैमरा, एक वीटीआर या कार्ड रीडर और कुछ कनेक्टिंग लीड्स जैसे फायरवायर केबल, की आवश्यकता है. आप शूटिंग योजना के अंतर्गत किसी भी क्रम में अपने शॉट्स एकत्र कर सकते हैं, और जितने चाहे उतने शॉट्स शूट कर सकते हैं l संपादन के दौरान आप अवांछित शॉट्स को हटा देते हैं और अच्छे शॉट्स को जैसे चाहे जोड़ सकते हैं l यह एक समय लेने वाला कार्य हो सकता है (खासकर यदि आपको संपादन का अधिक अनुभव नहीं है) लेकिन आमतौर पर इस प्रयास से अच्छे परिणाम मिलते हैं l  

इन-कैमरा – इन कैमरा संपादन का मतलब है कि जो भी आप शूट करते हैं वही आपको मिलता है – जहाँ कोई पोस्ट प्रोडक्शन ना हो l यहाँ मुख्य बिंदु यह है कि आप अभी भी संपादन कर रहे हैं , आप अब भी यह तय कर सकते हैं की कौन सा शॉट पहले जायेगा और कौन सा बाद में बस फर्क इतना है कि ये सारे फैसले आप तब लेते हैं जब आप शूट कर रहे होते हैं बजाय पोस्ट प्रोडक्शन के. यह आसान नहीं है और ना ही ये जरुरी है की हर बार ये सही होगा. 
इसमें नियोजन, दूरदर्शिता और अनुभव की आवश्यकता है

नोट: इसके अलावा एक अन्य ऐसी स्थिति है जिसका उल्लेख किया जाना चाहिए: लाइव मल्टी-कैमरा शूट l इसमें दो या उससे अधिक कैमरे विज़न मिक्सर से जुड़े होते हैं और डायरेक्टर उस कार्यक्रम का लाइव संपादन करवाता है (इसका उदहारण है लाइव क्रिकेट मैच) l इस मामले में, आप संपादन का काम कार्यक्रम के शूट के दौरान उसके वास्तविक समय में कर सकते हैं ।

शॉट प्लान (Shot Plan):
एक बार जब आप अपने शूटिंग सत्र की योजना बना लेते हैं, तो आप व्यक्तिगत शॉट्स की योजना बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं । सबसे पहले, हर शॉट को लेने का कोई कारण तय कीजिये । अपने आप से पूछें "मैं इस शॉट के साथ क्या हासिल करने की कोशिश कर रहा हूं”.

क्या यह शॉट आवश्यक है? क्या मैंने पहले ऐसा शॉट लिया है जो अनिवार्यतः एक जैसा है? क्या मेरे दर्शक इस विषय को पसंद करेंगे ? 

एक बार जब आपको लगता है कि शॉट प्राप्त करने के लिए आपके पास एक अच्छा कारण है, तो इसे शूट करने के सर्वोत्तम तरीके के बारे में सोचें l उसके बाद विभिन्न एंगल, फ्रेमिंग के बारे में सोचें l अच्छी रचना को मास्टर स्टेज तक पहुँचाने में समय लगता है लेकिन लगातार अभ्यास के साथ आप वहां पहुंचेंगे।

अपने आप से यह पूछें कि आप इस शॉट के माध्यम से अपने दर्शकों को क्या जानकारी देना चाहते हैं, और यह सुनिश्चित कर लें कि आप शॉट को इस तरह से कैप्चर करें जिससे दर्शक इसे समझ जाएँ । प्रत्येक शॉट को लेने से पहले पूरा समय लें, खासकर तब जब वह शॉट महत्वपूर्ण है.
यदि आवश्यक हो (और यदि आप पोस्ट प्रोडक्शन में संपादन करने वाले हैं), तो शॉट के अलग-अलग एंगल से शूट करें ताकि आप बाद में सर्वश्रेष्ठ शॉट चुन सकें।

इसके अलावा, पोस्ट संपादन के लिए, प्रत्येक शॉट की शुरुआत और अंत में कम से कम 5 सेकंड के अतिरक्त विडियो शूट करें । यह संपादन उपकरणों के लिए आवश्यक है, और यह सुरक्षा बफर के रूप में भी कार्य करता है।

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